चुड़ैल वशीकरण साधना
चुड़ैल वशीकरण साधना, भूत-प्रेतों की विभिन्न जातियों में एक चुड़ैल की है। इसके संबंध में तरह-तरह के किस्से कहानियां हैं। जैसे वे कौन होती हैं? कैसे बनती हैं? कितनी हानिकार है? वह क्यों भटकती रहती है? क्या उसे तंत्रिक साधना से वशीकरण किया जा सकता है और उससे मनचाहा कम करवाया जा सकता है? इत्यादी।
सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार वैसी युवा औरत बन जाती है, जिसका यौन शोषण के बाद हत्या हो जाती है या फिर बच्चे को जन्म देत वक्त मर जाती है। संतान नहीं होने पर दुत्कारी जाने से आत्महत्या करने वाली औरत भी चुड़ैल बन जाती है।चुड़ैल वशीकरण साधना
इनमें यौन शोषण की शिकर वाली चुड़ैल सुनसान जगहों पर रहती है और अपनी मायाबी शक्तियों का इस्तेमाल कर रूपजाल में फंसा लेती हैं। इनका रूप घिनौना होता है, लेकिन सुंदर स्त्री का रूप भी धारण कर सकती है। उन्हें सिर्फ उनके उल्टे पैरों की वजह से पहचाना जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा हाने और चंद्र दशापति राहु के बलहीन हो जाने से व्यक्ति भूत-पिशाच से ग्रस्त हो जाता है। उसे वशकरण करने के तांत्रिक साधना किया जाता है।
इनमें चुड़ैल प्रभावित स्त्री की मनोदशा बिल्कुल अलग किस्म की होती है, जिसके बेवजह मुस्कुराने और हंसने से पता लगाया जा सकता है। ऐसे पीड़ित व्यक्ति को चुड़ैल से मुक्त करवाने के लिए अलौकिक ताकत हासिल कर उसका वशीकरण किया जाता है।
बबूल में पानीः चुड़ैल को वशीभूत करने का यह बहुत ही साधारण, लेकिन 41 दिनों तक किया जाने वाला अचूक तरीका है। इसके लिए आत्मविश्वास के साथ निर्भय बने रहकर मंत्र का जाप करना होगा और सूनसान इलाके के बबुल के पड़े में नियमित पानी डालना होगा।
रात के ग्यारह बजे एक बोतल में पानी भर लें और घर से कम से कम आधा किलोमीटर दूर स्थित बबूल के पेड़ की जड़ में पानी डालें। ध्यान रहे आपको ऐसा करते हुए कोई देखने नहीं पाए। इस दौरान पेड़ के पास बैठकर 108 बार जाप किया जाने वाला मंत्र हैः- ऊँ भूतेश्वरी मम वश्य कुरू कुरू स्वाहा!!!
इस साधना के दस दिन बाद ही आपके भीतर की घबड़ाहट और बचाखुचा भय खत्म हो जाएगा। इसकी शुरूआत अमावस्या की अंधेरी रात से करना चाहिए। साधना के 41वें बबूल के पेड़ की जड़ में जल नहीं डालें, बल्कि आंखें बंद कर केवल मंत्र का जाप करें।
ऐसा करने पर आपके सामने चुड़ैल के प्रकट होने का एहसास होगा और कानों में उसके द्वारा पानी मांगने की आवज सुनाई देगी। इस स्थिति में आपको उससे अपने कार्य सिद्धी की याचना करें और उससे वचन लें। इसके बाद पानी डालंे।
श्मशान की राख से वशीकरणः यह तरीका भी साधारण लेकिन निर्भयता से किया जाने वाला है, रात के 12 बजे श्मशान जाकर वहां से कुछ राख ले आएं। उसे घर के किसी एकांत स्थान में सूर्योदय होने से पहले ऊँ भूतेश्वरी नमः मंत्र का 108 बार जाप कर अभिमंत्रित कर लें। अभिमंत्रित राख का तिलक लगाएं और उसकी पुड़िया बनाकर अपनी जेब में रख लंे।
ऐसा करने पर आपके मन भूत से सवाल-जवाब करने का एहसास होगा। उसके निरंतर करते रहने से आप मनचाहे सवाल का जवाब हासिल कर लेंगे, जिसमें किसी समस्या का निदान छिपा होगा। इसी सिलसिले मंे अभिमंत्रित राख के तिलक से वशीभूत चुड़ैल विकट बाधाओं को भी दूर कर देगी।
आक के पड़ की चुड़ैलः सामान्य धारण के मुताबिक आक के पड़े का संबंध भूत-पिशाच से है, जिनमें चुड़ल भी हो सकती हैं। उसके नीचे पानी देकर भी चुड़ैल की प्यास बुझाई जाती है। इस तरह से चुड़ल प्रसन्न होकर वशीभूत हो जाती है। यह उपाय कभी भी किया जा सकता है।
यानी कि इसे दिन या रात, या फिर दोपहर 12 बजे कर सकते हैं। लगातार 21 दिनों तक आक के पेड़ की जड़ में एक लोटा पानी डालें और नमन करें। अंतिम दिन जब आप कुछ समय तक उसके सामने आंखें बंद किए रहेंगे तब चुड़ैल की आकृति उभरेगी।
वह भयभीत करने की स्थिति में कुछ पूछना चाहेगी। इससे पहले कि उस अकृति की छवि धूमिल हो जाए मन में विनती भरी अपनी याचना करें। उसके बाद यदि आकृति कुछ समय तक बनी रहे तब समझें वह आपके वश में आ चुकी है और आपकी इच्छापूर्ति कर सकती है। यह सबसे सुरक्षित और आसान तरीका है, जिसमें कोई मंत्र जाप नहीं करना होता है, केवल मन को चुड़ैल के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए एकाग्र बनाना होता है।
चुड़ैल आवाहन और वशीकरणः चुड़ैल को बुलाने का एक खास मंत्र इस प्रकार है, जिसके जरिए उसे प्रसन्न कर वशीभूत किया जा सकता है।
मंत्रः क्रीं क्रीं सदात्मने भूताय मम मित्र रूपेण, सिद्धम् कुरू कुरू क्रीं क्रीं फट्!!
प्रयोग-विधिः तांत्रिकों के बनाए गए तंत्र-साधना के नियमों के अनुसार इसके लिए अमावस्या का दिन निर्घारित किया गया है। रात के बारह बजे लाल वस्त्र धारण कर सबसे पहले मानसिक तौर पर खुद को तैयार करें कि चुड़ैल आपका हितैषी बन जाए और आपके साथ उसका व्यवहार मित्रवत हो। इसके लिए कुछ समय तक आध्यात्मिक चिंतन का प्रयोग करते हुए एकाग्रता के साथ गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें, जो इस प्रकार हैः- ऊँ भुर्भवः स्व तत्स वितुर्वेण्यं भर्गो देवस्य धीमही धीयो यो न प्रचोदयात स्वाह!!
इस तैयारी के बाद पूजन सामग्री के साथ निकट किसी पिपल के पेड़ के पास जाएं और जमीन पर आसन लगाएं। पांच हरे पत्ते तोड़ें और उसपर सुपारी चढ़ाएं। उसके बाद चुड़ैल का ध्यान करते हुए लोहबान या अगरबत्ती जलाएं। काला तिल और दही चढ़ाएं। सरसो तेल का दीपक जलाएं और सफेद मिठाई भी चढ़ाएं। फूल अर्पित कर हकीक की माला से 11माला ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें।
अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद सभी पूजन सामग्रियों के चारो तरफ जल घुमाकर डालें। मिठाई और जलते दीपक और अगरबत्ती को छोड़कर बाकी सभी सामग्री को एक सफेद कपड़े में बांध लें। उस पोटली को अपने साथ लाएं और सुबह में स्नान के बाद बहते नदी मंे प्रवाहित कर दें। समय के अभाव में सामग्रियों की पोटली अगले तीन दिनों के भीतर प्रवाहित कर सकते हैं।
इस तरह से आपके वश में आया चुड़ैल का व्यवहार आपके प्रति सकारात्मक बना रहेगा और आप किसी भी मुश्किल वाले काम को आत्मविश्वास एवं निर्भिकता के साथ कर पाएंगे।