कामाख्या तंत्र साधना
कामाख्या वशीकरण मंत्र, कामाख्या मंत्र साधना टोटके, कामाख्या सिन्दूर प्रयोग- शिव के अपमान से क्रोधित सती का हवनकुंड में कूद जाने की पौराणिक कथा हम सभी जानते हैं| सती के शव को लेकर जब शिव तांडव करने लगे, विश्व में हाहाकर मच गया| शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से शव के टुकड़े कर दिए| शास्त्रों के अनुसार सती के अंग जहां-जहां गिरे वहाँ शक्ति-पीठ बन गए| ऐसे कुल 51 शक्तिपीठ हैं, इनमें कामख्या सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाता है| यहाँ देवी का ‘योनि’ गिरा था, इसलिए मंदिर में देवी प्रतिमा के स्थान पर ‘योनि’ शिलाखंड है, जो शक्ति रूप में पूजित है| यहाँ एक छोटा सा जल स्तोत्र भी है जिसकी वजह से यह स्थल सदैव नम रहता है| इस जल स्तोत्र का जल भी विशेष गुणो से युक्त है| इसके सेवन से कई रोग दूर हो जाते हैं| यहाँ प्रतिवर्ष अम्बूबाची नामक मेला लगता है| इस समय देवी कामख्या के राजस्वला होने के कारण ब्रम्हपुत्र का जल रक्ताभ हो जाता है| इस अवसर पर दुनिया के कोने-कोने से तांत्रिक यहाँ पहुँचते हैं तथा तंत्र साधना करते हैं| इसे तंत्रिकों का महाकुंभ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं है|
कामाख्या मंत्र साधना
कामाख्या मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है| जिस साधक ने इस मंत्र को सिद्ध कर लिया उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है| मंत्र सिद्धि के विधान कठिन हैं इसलिए इसे हंसी-खेल में लेना घातक है| आत्मबल तथा सिद्धि के प्रति प्रतिबद्धता हो तभी इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए| साधना के आरंभ में विनियोग, करन्यास, अंग न्यास करें| तत्पश्चात ध्यान के लिए देवी के निम्नलिखित अतुलनीय स्वरूप पर अपनी चेतना एकाग्र करें –
रक्ताभ वस्त्रधारिणी देवी कामाख्या, द्विभुजी हैं जिनके मस्तक पर सिंदूर का तिलक शोभा दे रहा है| वह चन्द्रमा के समान उज्जवल तथा कमल जैसी सुंदर हैं| उनके तन पर रत्न जड़ित आभूषण शोभित है| वह मणि-माणिक्य जटित सिंहासन पर आरूढ़ हैं| उन्नत पयोधर वाली देवी कामाख्या मंद-मंद मुस्कुरा रही हैं| श्यामवर्णा देवी सुंदर नेत्रों वाली त्रिनेत्रा हैं| वह अनेक विद्याओं से घिरी हुई हैं| उनके निकट डाकिनी-शाकिनी करबद्ध हैं| हाथों में ताम्बूल लिए नायिकाएँ खड़ी हैं| सिंहों के झुंड देवी कामख्या की वंदना कर रहे हैं| देवी के अमृत समान वचनों को सुनने के लिए देवी सरस्वती तथा लक्ष्मी भी उत्सुक रहतीं हैं| तीनों लोकों में पूजिता देवी कामख्या करुणामयी तथा मंगलकारिणी हैं|
कामाख्या वशीकरण मंत्र:
(ध्यान हेतु एक एक शब्द की समझ आवश्यक है, यद्यपि इसके मंत्र संस्कृत में भी उपलब्ध है तथापि साधक को अर्थ समझने में अवरोध न हो इसलिए ध्यान पक्ष का मंत्र हिन्दी में दिया गया है)
इसके बाद देवी की षोडशोपचार पूजन करें तथा निम्नलिखित 22 अक्षरों का मंत्र का जाप करें –
त्रीं त्रीं त्रीं हूं, हूं स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं हूं हूं त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा|
यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना गया है| इसकी सिद्धि से समस्त लौकिक अभीष्ट सिद्ध होते हैं| जाप से पूर्व किसी योग्य तांत्रिक से विमर्श अवश्य करें तथा उसी की सलाह से जाप की संख्या का संकल्प लें| जाप के उपरांत निम्नलिखित मंत्र के माध्यम से देवी की स्तुति करें –
कामाख्ये कामसंपन्ने, कामेश्वरी हर-प्रिया
कामनां देहिमे नित्यं, कामेश्वरी नमोस्तुते ।
कामदे काम-रूपस्थे, सुभगे सुरसेविते
करोमि दर्शनं देव्याः, सर्व-कामार्थ सिद्धये।
यह साधना कामाख्या में जाकर योग्य गुरु के निर्देशन में ही करना चाहिए|
कामाख्या साधना:
यह साधना कहीं भी रहकर किया जा सकता है| यह अत्यधिक प्रभावशाली है| किसी भी कृष्ण पक्ष में नवमी को मध्य रात्रि (12 बजे) लाल आसन पर पूरब दिशा में मुख करके बैठें, सामने देवी कामाख्या की तस्वीर स्थापित करें| सिंदूर तथा तिल का तेल मिश्रितकर पानी वाले नारियल पर टीका लगाएँ तथा देवी को अर्पित करें| ध्यान रखें नारियल की जटा को हटाना नहीं है| पंचोपचार विधि से पूजन करें| प्रसाद अर्पित करें| इसके बाद विधिवत हाथ में जल लेकर जाप के लिए संकल्प लें तथा निम्नलिखित मंत्र का इक्यावन माला प्रतिदिन तीन दिनों तक करें-
ऊँ त्रीं नमः
जाप के लिए मूँगे की माला उपयोग करें| तीन दिन के बाद जाप समाप्त होने पर नारियल किसी नदी में ससम्मान प्रवाहित कर दें|
कामाख्या सिन्दूर प्रयोग
कामाख्या में एक विशेष प्रकार के सिंदूर को कामिया सिंदूर कहा जाता है| यह अन्यत्र कहीं नहीं मिलता है| | मान्यता है कि सुहागिनें इस सिंदूर को लगाएँ तो अखंड सौभाग्य को प्राप्त करतीं हैं| यदि इसे अभिमंत्रित कर दिया जाए तो इसके चमत्कारी प्रभाव से दैनिक जीवन में आने वाली किसी भी समस्या का निदान किया जा सकता है| इसे अभिमंत्रित करने की विधि सरल है तथापि नियम-निष्ठा का अनुपालन आवश्यक है|
कामख्या सिंदूर प्रयोग:
कामाख्या सिंदूर को अभिमंत्रित करने के लिए शुक्रवार से पूजा प्रारम्भ करें| चांदी के ढक्कन लगे पात्र में कामिया सिंदूर(कामख्या सिंदूर) भरकर अपने सम्मुख रखें, तथा निम्नलिखित मंत्र का 108 जाप करें –
कामाख्याये वरदे देवी नीलपर्वतावासिनी
त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते|
अगले सात दिन तक निरंतर इस विधि से पूजा तथा जाप करें| इस पूजा के लिए लाल आसन पर बैठें तथा स्वयं भी लाल वस्त्र धारण करें|
प्रयोग: अभिमंत्रित सिंदूर चुटकी भर लेकर उसमे केसर, गंगाजल चन्दन उसी अनुपात में मिश्रित करें तथा कामाख्या मंत्र 11 बार करें| ( मंत्र लेख के प्रथम अंश कामाख्या मंत्र साधना में वर्णित है|
जाप के बाद केसर, गंगाजल आदि मिश्रित सिंदूर से तिलक लगा लें| तिलक लगाते ही आपमें सम्मोहन की शक्ति आ जाती है| जो भी आपको देखेगा वह वशीभूत हो जाएगा|
कामख्या सिंदूर प्रयोग
कामिया सिंदूर लेकर सर्वप्रथम विधि-विधान से पूजन करें, तत्पश्चात निम्नलिखित मंत्र का निरंतर 7 रविवार तक 108 बार जाप करें –
हथेली में हनुमंत बसै, भैरु बसे कपार।
नरसिंह की मोहिनी मोहे सब संसार, मोहन रे मोहनता वीर
सब वीरन में तेरा सीर , सबकी नज़र बांध दे
तेल सिंदूर चढ़ाऊँ तुझे, तेल सिंदूर कहाँ से आया?
कैलास पर्वत से आया कौन लाया?
अंजनी का हनुमंत, गौरी का गणेश लाया|
काला गोरा तोतला तीनों बसे कपार दुहाई कामिया सिंदूर की
हमें देख शीतल हो जाए सत्य नाम आदेश गुरु की सत गुरु सैट कबीर
यह मंत्र कामिया मोहन मंत्र के नाम से जाना जाता है| सात रविवार के बाद यह सिंदूर चुटकी में लेकर उक्त मंत्र 7 बार पढ़ें तथा तिलक लगा लें| इससे वशीकरण का प्रभाव उत्पन्न हो जाता है|